________________
बोल ३०सिखामण. बोलीका बंध नही तिणरो संग न कीजे १, वीटलसु प्रीत न कीजे १, सङान मित्रने बेहन दीजे ३, चुकाने वार वार न पुनीजे ४, उलटी बु. छिने वार वार शिख न दीजे ५, घणो मान वधीयो तोही वीनी न गेमीजे ६, सुख मुखमे पिण नली मरजादा न गेमीजे , थापरा गुण थापरे मुझे न वखाणीजे , पुंठ पाने अवगुण न बोलीजे ए, बुरीगारने बेमीजे नही १०, हीयारी गत जिण तिणने कहीजे नही ११, विण विचार्या दाय थावे जिम न बोलीजे १२, कीयो नपगार मुखीजे नही १३, निर्गुण गुरु देव धर्म मानीजे नही १४, जणी गणीने वाद न कीजें १५, गुरांसुं कमांसुं सामो न बोलीजें १६, धर्मरे ठिकाणे जुळ न बोलीजें १७, कुमानी पख नही वांचीजें १०, धर्मरी वात नघामे मुख न बोलीजें ए, अवनीतरो पद न वांजीजें १०, कपटीरो वेसास न कीजें १, कीणही वस्तुरो गर्व न कीजें १५, कोणसु मंख राखीजें नही दुख न दीजें १३, पारकीचामी न खाजें। परजपगार करतां ढील न कीजें २५, कमवो कठोर निर्लज न बोखीजें २६, वृत्त प
२६