Book Title: Chattrish Bol Sangraha
Author(s): Agarchand Bherudan Sethia
Publisher: Agarchand Bherudan Sethia

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Page 330
________________ ॥अथ बत्तीस बोल लिख्यते ॥ || ३३ बत्तीस अनंतकाय. सर्व कंदनी जाति १, सूरण कंद २, वज्र कंद ३, लीली हलदी ४, लीळ यार, लीलो कचूर ६, सतावरी वेली ७, विराली वेली , कुंवारी ए, थोहरि कंद १०, गलोर ११, लसण कली १२, वासना कारेला १३, गाजर १४, बूणो साजी वृक्ष १५, लोढो पद्मनी कंद १६, गिरिकर्णिका सर्व वनस्पतिना नवा उगता कुंपल पान १७, खरसुथा कंद १७, थेग कंद १ए, निली मोथ २०, बूण वृदनी गल अनंतकाय जाणवी परंतु एना बिजा अवयव अनंतकाय नही २१, खियुमा कंद विशेष १५, अमृतवेलि २३, मूलानी पाम श्४, शूमिफोमा जे - काले बत्राकारे जगे ते २५, विरुहा अंकूयी धान्य २६, टंकवथुल शाक ते वनस्पति पहेलु जग्यो तेहज बिजुं नही श, सूयर वेली शश, पवंक शाक विशेष शए, कुवली थांबली ३०, आलु कंद ३१, पिंमायु कंद ३५... ३५ वांदणाके ३२ दोष. गुरुने वंदणा देने वांदे १, उक बेगे वांदे १, नाचतो वादे

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