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मुनिराज गाम गाम एक रात नगरां नगरां पांच रात वास करें, २४ द्रव्य जिहाजमें चोर प्रमुखनो जयरहित होय तिम संयमरूपीनावमें पांच इंडीने जीतें सात नयरहित होय, २५ द्रव्यजिहाजमें व्यापारी वस्तुनी ममता करी पीरीन ले जाय तिम संयमरूपी नावमें साधु सचित्त अचित्त मिश्र परिग्रहनी ममता न करें, २६ द्रव्य जिहाजमें व्यापारी टोटेनो व्यापार न करें तिम संयमरूपीनावमें हिंसादिकथी निवरते, २७ द्रव्यजिहाजमें मालरी गांठ खोलें तिम संयमरूपी नावमें पापसुं निवरते श्राप कर्मरूपी गांठ खोलें,श द्रव्य जिहाजमें माल वेची हलको हाय'तिम संयमरूपी नावमें क्रोध मान माया लोन राग ष पतला पामेंसुं हलको होय, श्ए द्रव्य जिहाजमें व्यापारी विना चलती चीजरीवा नही करें तिम संयमरूपीनावमें व्यापारी असंजमरी वा नहि करें, ३० व्य जिहाजमें व्यापारी लोन वास्ते व्यापार करें तिम संयमरूपी नावमें व्यापारी १० जतीधर्मसहित दमारो व्यापार करें, ३१ व्य जिहाजमें व्यापारी नाना प्रकारनो व्यापार करें तिम संयमरूपी नावमें व्यापारी विविध प्रकारे धर्म करें.