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॥ श्रय योगुणतीस बोल लिख्यते ॥ शए पापसूत्र शए. चूमिकंप विचार शास्त्र १, दिशा लाल फल विचार शाम २, सुपनकाः
विचार शास्त्र ३, जलकापात धरती धूलै ४, अंग फरणेका ५, सुरचलणका ६, ति-| लेमिसेका ७, स्त्री पुरुष सदण, अर्थ १६, अर्थ पाठ दोनो २४, विकथा करणे-||* का २५, जोतिषशास्त्र २६, वेदक शास्त्र २७, जोगमिलावणेका ० र अनेरा व
सीकरणादिक श्ए. शए मूर्खका शए बोल. १ विना चूख खाय सो मूरख, २ अजीर्णथकां खाय सो मूरख ३
घणो सूवे सो मूरख ४, घणो चले सो मूरख ५, घणी देर पग उपर नार देने के वे सो मूरख ६, वमीनीत गेटीनीतकी हाजत गेमें सो मूरख. , नीचेकुं शिर ऊपर|| कुं पग करके सुवे सो मूरख ७, सारी रात स्त्री संग विषय सेवें सो मूरख ए सोखे वरसकी उमर होय विना मैथुन सेवें सो मूरख १०, बुढापेमें व्याह सो मूरख ११, नोजन तथा नजन करतां वात करें तथा इसें सो मूरख १५ चिंता मिटता वाद करें।