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४, पांचमें लोक हांसी करेंगे ५, न वमन कीया विषय फेर प्रहण करंगा ६, सातमे कुगती बंधन संग्रह हुवेगा , थामें सम्यक्तरूपी शुरू धर्म हाथ आवेंगा नही ||
, नवमे रोग थाणेसें क्या करंगा ए, दशमे गृहस्थाश्रममें मन सदा चिंतातुर रहेंगा १०, ग्यारमे कष्टरहित दिदा है कष्टसहित गृहस्थावास ११, बारमे बंधण गृ. हस्थाश्रम मुक्त प्रवा ने चारित्र ११, तेरमे सावध गृहवास निखद्य चारित्र १३, ||* चवदमे सामान्य कामनोग्य १४, पनरमे परतख पुण्य पाप १५, सोलमे मनुष्यका वायु अनित्य है जैसें मान उपरी जलबिंञ्चत् वा बीजलीका चमत्कार समान १६, सत्तरमे पापकर्म करेंगा १७, पढारमे विना नोगव्या बूटेंगा नही १०.