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॥अथ वीस बोल लिख्यते ॥ २० वीस बोल, बमोंकी सीख. १ नलो चावें तिणरी सीख मानीजें, १ गुण माने तिणने |
नणाजे, ३ कृतघ्नने श्रीगणग्राही जाणीजे, ४ अति तृमा लोन न कीजें, ५ वांको वरते तोही क्षेष न कीजें, ६ खोटे हाण खरेबरकत जाणीजें, ७ पापथी जुःख ने धमंथी सुख जाणीजें, जंगे वचन बोलें तिणने हलको श्रादमी जाणीजें, ए मा-| ता पिता गुरु देवरी नक्ति कीजें पाग्यामें रहीजें, १० वमेरांरो हुकम मानीले पागे उत्तर न दीजें, ११ वापरो धर्म हुवें तिण मारग चालीजें सील पालीजें पारकी स्त्री सुं टालो कीजें, १३ आपरा कुलरा याचारमें चालीजें कू न नाखीजें, १४ फुःखी होवें तिणरो उपगार कीजें, १५ गांव चालीजें तो सखरा सुकन देख चालीजें, १६ | नाणो परखने लीजें, १७ फाटो कपमो सीवीजें, १० रूठगने मनानें, १ए वापरो
धन सुमारग खरचीजें, २० थलारा गांवमें वसीजें तो श्रगनरो जतन कीजें. १ | २० वीस असमाधिया. दब दब करतो चालें तो १, विना पूजे चालें तो १, पूंजे किहा ||*