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तर अव्यांतर होणेसें अव्य जुदा गिणनेमें आतें है जेसें गहुं एक व्य उसकी प-1 तली रोटी फीणा रोटी वेढवारोरी वाटी यह सब जुदा अव्य कहलाता है इसतरे नात | दाल रोटी कढी मामीया कट्ट तरकारी सब जात पापम खीचीया सब तरके फीणी घेवर खाजा इत्यादिक सर्व व्यमेंसे जो चाहीयें सो रखें बाकी नियम करें उत्कृष्टपणे एक व्यका नाम लेकर रखें सो एकही भव्य कहलावे जैसेकी मेवेकीखीचमी तो वह अनेक व्य सेवणी हें तोनी एकही व्य कहीयें शति ऽव्य प्रमाण १,तीसरा विगय प्रमाण तिहां दश विगयोमेंसे श्रावककुं च्यार महाविगयका तो त्यागही होता है जसे मदिरा १, मांस २, मकण ३, रसहत ४. जदविगय ६. घृत १, तैख १, मीग ६, दूध, दही, कढाईकी तली चीज ६. यह धारणा प्रमाण रखें शति विगय नियम ३, पादत्राण नियम तहां जूती खमाजं मौजा अप
पाणलाना ना इतना विराणा ऐसे नित्य धारणा प्रमाणे मोकला राखें इति पानदि नियम ४, अथ पांचमा तंबोल नियम. पान बीमा सुपारीलोंग खायची गटी र बझी जा. यफख जावंत्री प्रमुख सर्व खादिम वस्तु किरियाणेकी चीज धारणा प्रमाणे रके '