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१२ व्यासस्तमन विनयका बारे नेद. पापकारी मन प्रवर्त्तावे १, क्रियाकारी मन प्रवर्त्तावे 2, कठोरकारी मन प्रवर्त्तावे ३, नवोरकारी मन प्रवत्तीवें ४, करगसकारी मन प्रवर्त्तावे", कमवाकारी मन प्रवर्तावे ६, व्याश्रवकारी मन प्रवत्तीवे 9, बेदकारी मन प्रवर्त्तीवे दकारी मन प्रवर्त्तावे ए, उद्देगकारी मन प्रवर्तावे १०, परतापनाकारी मन प्रवत्तीवे ११, सर्वभूतप्राणी जीवने घातकारी मन प्रवर्त्तावे १२, १२ प्रसस्तमनका विनय बार नेद. निखद्यकारी मन प्रवर्त्ता १, व्यक्रियाकारी मन प्रववे २, कठोरकारी मन प्रवत्तीवे ३, छानठोरकारी मन प्रवर्त्तावे ४, टाकरंगसकारी मन प्रवर्त्तावे ९, अणकमवाकारी मन प्रवर्त्तावे ६, संवरकारी मन प्रवर्त्तावे 9, वेदकारी मन प्रवर्त्ता, खनेदकारी मन प्रवर्त्तावे ए, अणउद्वेगकारी मन प्रवर्त्तावें १०, परतापनाकारी मन प्रवर्त्तावे ११, सर्वभूतकारी प्राणी जीवकुं साता उपजावकारी मन प्रवर्त्तावे १२. ' १३
१२ निर्जरातत्त्वना बार जेद कहें वें. प्रथम व प्रकारे बाह्यतप. अनशनतप १, कणोदरी तप २, वृत्तिसंक्षेप तप ३, रसत्यागतप ४, कायक्लेशतप ए, संलीनता तप ६, बम