Book Title: Chamatkari Savchuri Stotra Sangraha tatha Vankchuliya Sutra Saransh Author(s): Kshantivijay Publisher: Hirachand Kakalbhai Shah View full book textPage 8
________________ ॥किंचिवक्तव्य॥ समय गया भावार्थ र विशेष मारो संस्कृत विषयक अभ्यास चालतो हतो ते अवसरे, परमपूज्य गुरुवर्य तरफथी, स्तुतिओ (स्तोत्रो.). मुखपाठ करवा माटे, आ पुस्तकमां प्रसिद्ध थयेल. नंबर. १ थी ७ सुधीनां स्तोसोनां पांनानी एकेक नकल, मने प्रसन्नता पूर्वक बक्षीस थइ हती, ते स्तोत्रोनो भावार्थ न समजी शकबाथी केटलोक वखत पोथीमां बांधी साथेज फेरव्यां. केटलोक समय गया बाद साधारण अभ्यास यवाथी स्तुतिओनो भावार्थ कांइक समजवा लाग्यो, तेथी तेना उपर विशेष प्रीति यइ अने तेथीज तेने बे चार दखत वांची, अशुद्धिने बुध्यनुसार सुधारी, प्रेस कोपी करो राखी. प्रेस कोपी पण घणो वखत पासे रही अनुक्रमे धर्म श्रद्धालु शाह हीराचंद ककलभाइनो समागम थवाथी कोइ पुस्तकमां दाखल करवा सारु प्रेस कोपी तेमने स्वाधीन करी हती. अवसर आववाथी ते ग्रंयो तेमणे छपाववा शुरु कर्या अने मने खबर आपी ते वखते में अन्तरिक्ष पाश्र्धनाथनी यात्रा करी त्यांनी हकीकतवालु:एक (८ मु.) स्तोत्र मेलव्यु हतु, तेने सुधारी तेनी प्रेस कोपी करी ते पण तेमने मोकली दीधु. वली बीजी वखत यात्रा करवा जवु ययु, ते वखते तेज स्तोत्रनो संस्कृत भाषायी अज्ञ लोकोने पण लाभ मले तया वराड खानदेश विगेरेमां वस्ता जैनो गुजराति भाषायी अजाण होवायी तेमने पण लाभ मले तेवा हेतुथी तेनु हिदि भाषामा भाषान्तर सखीने (९ मा स्तोत्र तरीखे) हिराचंदभाइ उपर मोकली आप्यु. www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, SuratPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 100