Book Title: Chamatkari Savchuri Stotra Sangraha tatha Vankchuliya Sutra Saransh
Author(s): Kshantivijay
Publisher: Hirachand Kakalbhai Shah

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Page 60
________________ यदेवमूरिजीसें उस्का (नेत्र अच्छा होनेका) इलाज ( उपाय) पुच्छा. १४ मेरे पुच्छनेसें आचार्यमहाराजने मेरेपर कृपा करके संपूर्ण विधिविधानयुक्त पद्मावतीका महामंत्र मेरेकों दीया. १५ पीछे वहां चातुर्मास पूर्ण करके एक मुनिकी साथ मेरेको पा. टणमें रखकर आचार्यमहाराजजीए अन्यत्र विहार कीया. १६ ___उस्के पीछे गुरुमहाराजने दिखलाया हुवा वह मंत्रका विधि अनुसार आराधन करनेसें देवी पद्मावतीजी प्रत्यक्ष (स्वममें) आके मेरेको विस्तारसें इस तरह कीया. १७ काचबाका (कच्छपका) लंच्छनवाला और हरिवंशमें उत्पन्न हुयें ऐसें (वीसमातार्थंकर)मुनिसुव्रतस्वामीकै शासनमें महाबलशाली रावणनामका प्रतिवामुदेव हुवाथा. १८ । वह रावणे कोइएक दिन अपना स्वस्पति (बनोइ) खरदूषण राजाकों कोइ कार्यके लीयें बहोत जल्दीसें भेजा. १९ पाताललंकाका मालिक वह खरदूषण नामका विद्याधर रा. नाभी विमानमें बेठके पक्षीकीतरह आकाशमार्गसें चल्या. २० (वहांसें) बहुत नगरो, देशो, वनखंडो और पर्वतोको उल्लंघन करके भोजनसमये विगोलिदेशमें पहुंचा. २१ । उसीसमय वहराजा भुमिपर उतरकें स्नान करकें पूजाके उपकरणो लेकर जिनचैत्य (मूर्ति )को मेरी पास ले आव इसतरह रसोइ बनानेवालेकुं कहा. २२ उस वखत भयभ्रांत हुवा वह रसोइया हायको मस्तकके उपर www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat

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