Book Title: Chamatkari Savchuri Stotra Sangraha tatha Vankchuliya Sutra Saransh
Author(s): Kshantivijay
Publisher: Hirachand Kakalbhai Shah
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५ १५-१६
एवा
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पूर्व कहेला संत पुरुषो हे विद्वानो? अरण्यमां भटकता अरण्यमां निरंतर भर
कता एवा पोताना श्रीअत श्रीअन्त नन्दम, नन्दम् वर्ण्यते
वण्ये सदुपकते ऽन्येषा मुपकते, सौम्य साम(२)
(दा) वद्य (2) बंद्य (नत्वा) सामं साई श्रीमन्तः श्रीमन्तः
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कारैः
स्वप्ने' . ममा
१४
स्तुदु स्वप्ने ममा समानय विससन भोज्य इतस्ततो पुन!य पक्ष
३
समानय विससर्ज भोज्य इतस्ततो पुनयूयं (पृष्ट)
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