Book Title: Chamatkari Savchuri Stotra Sangraha tatha Vankchuliya Sutra Saransh
Author(s): Kshantivijay
Publisher: Hirachand Kakalbhai Shah

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Page 91
________________ G ० ८० हणायो छतो थइने हणायेल थइने । पदार्यने पदार्थने अथत् अर्थात् आ भवमां शुं आभवमांशुं एमने एमज तने तेमां रहेवा देशे शुं तेमां रहेवा देशे ? नहि अर्थात् नहि रहेवा दे, चरण चरणं रिमै रिमैः निवेदना . निर्वेदता रंगसस्कृति रंग संस्कृति स्त्री शोक कदिपणशोक देह सुपोतक देह सुपोतकं कंकु केशर निश्चे निश्चेतुंज नयी ? तो तु शुं छे ? अर्थात् योग्य नथी, अकामी नथी अ. तो 'मंडनप्रिय होय ते थवा मंडनप्रियछे? निश्चे अकामी न होय, सं। छद्य सं छिद्य मुक्तिश्री मुक्तिरूप श्रेष्ट नान्वितंः, नान्वितम् ० स्त्रीयो २० १८-१९ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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