Book Title: Chahdhala 1
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 6
________________ छहढाला उत्तर-जिसमें सम्यग्दर्शन, ज्ञान और चारित्र प्रकट करने की योग्यता हो, उसे भव्य कहते हैं । प्रश्न ४--मोह किसे कहते हैं ? उत्तर- (१) मोहनीय कर्म जो स्वपर के विवेक को भुला देता है । अथवा (२) सांसारिक वस्तुओं में प्रेम करना या (३) अपने-आपको भूल जाना । प्रश्न ५-महामद कौन-सा है ? उत्तर-मोह । प्रश्न ६–क्यों है ? उत्तर-शराब पीनेवाले का नशा २-४ घण्टे में उतर जाता है परन्तु मोहरूपी महाशराब का नशा भव-भवान्तर तक नहीं उतरता है । शराब के नशे में मस्त जीव पत्नी को माता और माता को पत्नी कहता है । मोह के नशे में मस्त जीव अपने से भिन्न शरीर, माता, पिता, पुत्रादि एवं धनदौलत, घर, दुकानादि को अपना मानकर चारों गतियों में भ्रमण करता है । ___ प्रमाणता और निगोद के दुःख तास भ्रमण की है बहु कथा, पै कछु कहूँ कही मुनि यथा । काल अनन्त निगोद मंझार, बीत्यो एकेन्द्री तन धार ।।४।। शब्दार्थ-तास भ्रमण = भटकने को । बहु कथा = बड़ी कहानी । कछु = कुछ । कहूँ = कहता हूँ | यथा = जैसी । निगोद मंझार = निगोद में । तन = शरीर । धार = धारण करके । बीत्यो = बीता है । अर्थ—इस जीव के संसार-भ्रमण को कहानी बहुत बड़ी है । परन्तु जैसी पूर्वाचार्यों ने कही है वैसी मैं भी कहता हूँ । इस जीव ने अनन्त काल निगोद में बिताया है। प्रश्न १–निगोद किसे कहते हैं ? उत्तर-निगोद तिर्यंचगति के एकेन्द्रिय जीवों की एक पर्याय विशेष है जिसमें जीव की आयु बहुत थोड़ी होती है । एक श्वास में अठारह बार जन्मता है और अठारह बार मरण करता है।

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