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भिक्ख दृष्टांत जद ते बोल्यौ-पाप हुवे। जद स्वामीजी फेर बोल्या-एक लोटी पाणी वेश्या न पायां कांइ हुवै ? जद बोल्यो-इणमैं इ पाप हुदै ।
जद स्वामीजी बोल्या - थारै लेखै थांरी मां नै वैश्या सरीखी गिणी कांई ? जब घणौ कष्ट हवौ। लोक बोल्या-ओटजी मां नै वैश्या सरीखी गिणी।
३०. तार मात्र वस्त्र राखणौ नहीं
ढूंढार मैं स्वामी भीखणजी पासे श्रावगी चरचा करवा आया। बोल्यामुनी ने तार मात्र वस्त्र राखणौ नहीं। राखै ते परीसह थी भागा।
जद स्वामीजी कह्यौ-परीसह कितरा? जब ते बोल्या-परीसह बावीस । स्वामीजी कह्यौ-पहलौ परीसह किसौ ? जब त्यां कह्यौ-खुध्या रौ। स्वामीजी पूछ्यौ-थारा मुनि आहार करै के नहीं करै ? जब त्यां कह्यौ-एक टक करै।। जब स्वामीजी कह्यौ-थारा मुनि प्रथम परीसह थी थारे लेखै भागा। जब ते बोल्या-भूख लागां आहार करै । जद स्वामीजी कह्यौ-म्हैइ सी लागां कपड़ो ओढां । बलि स्वामीजी पूछ्यौ-थारा मुनि पाणी पीवै के नहीं ? जब त्यां कह्यौ-पाणी पिण पीवै ।
जद स्वामीजी कह्यौ-इण लेखै थांरा मुनि दूजा परीसह थी पिण भागा।
जद ते बोल्या- तृषा लागां पाणी पीये ।
जद स्वामीजी कह्यौ-सीतादिक टाळवा म्है पिण वस्त्र ओढां अनै जो भूख लांगां अन्न खायां, तृषा लागां पाणी पीधां परीसह थी न भागै तो सीतादि टालवा वस्त्र राख्यां पिण परीसह थी न भागै । इत्यादिक अनेक चरचा सूं कष्ट कीधा।
* कजिया रै मते आया दीसौ छौ हिवै दूज दिन घणां भेळा होयने आया। स्वामीजी दिशां पधारता था सो साहमा मिल्या । करला होयने बोल्या-म्है तौ चरचा करवा आया नै थे दिशां जावौ छौ ! उणारी नूराणी देखनै स्वामीजी बोल्या-आज तौ थे कजीया रै मते आया दीसौ छौ ?
जब ते बोल्या-थांने किस तरै खबर पड़ी ?