Book Title: Bhikkhu Drushtant
Author(s): Jayacharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva harati

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Page 350
________________ परिशिष्ट ५ ३०२ ८. مر दिशां س 30 مر ب 0 ه 0 मृत्युभोज नूरांणी ३० २७ M WW पांने पास में ताकीद शीघ्रता तीखण छुरी तेजरा हर तीसरे दिन आने वाला ज्वर थाणो स्थिरवास, शोचार्थ देवी रे टाण निन्हव मिथ्या प्ररूपणा करने वाले निनांण निदाई नुखतौ भाव भंगिमा नेहराइ असावधानी परखदा परिषद परहा जासां चले जाएंगे. हिस्से में पाखती पाधरौ सीधा पुखता अवस्था प्राप्त विश्वासी पंतो उत्पत्ति का मूल स्रोत प्रांछ री प्रांछ क्रमबद्ध फुजालो फूलझड़ी से दागो फींचा फीटा अश्लील फीटो पड़यो लज्जित हुआ फोरौ हल्का बंडेल बर्तनों की पंक्ति बडेरा पूर्वज बाटा बरड़ो अस्त-व्यस्त बापरी बेचारी बारदानौ प्रारंभिक सामग्री बीहेला डरेंगे बैदो विवाद बोलावौ निमंत्रण के लिए उपहार मरचा रौ तौबड़ौ मिर्गों का मुखौटा मौर पीठ/पृष्ठ भाग मौमाळ ननिहाल रांधण रसोई पकाने वाली २१२ १३१ ५३ mr ur टांगें १०४ २५१ w A 1 १०७ ११७ १३२ W W 1 ४४ १०० १११ २६० १८८ २५८ ११६

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