Book Title: Bhikkhu Drushtant
Author(s): Jayacharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva harati

View full book text
Previous | Next

Page 352
________________ संशोधन पत्रक पंक्ति शुद्ध हस्तुजी पृष्ठ ५६ १ मोटी कसाई ५७ अशुद्ध हस्तुजो मोटो वेश्या सरीखी वेश्या नै दियाई वेश्या सरीखा 43 * * ४.००० ११ २९ GWKG - कारां सरीखा कसाइन दियाई कसाई सरीखा करां उतरता पछे लूण सरधै बेसौ २७ W X 9 W IS उत्तरता पछ लंण सरध ७६ भेसौ पछ EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE पंक्ति अशुद्ध शुद्ध २७ कहै रहै कोई न कोई नै नौ तौ १४८ १४७ सरध सरधै बसांण बैसाण आगमीय आगमीये बोला बोली करने करने ऊपर कह्यो । सुआण्यां पछ हीरांजी र हेमजी | स्वामी ने (कह्यो२३ सिरांम- सिवराम दासजी दासजी 'लायौ लीयो __ वरज वरजै खाण अमी- अमीचन्दजौ चन्दजी क्यांन - क्यांने कर करै ढणा . घणा २० देखनै देखै को की पूछ पर्छ स्चामीजी स्वामीजी २१ २१ अथे अर्थ बळ 25m पछ बायां पछे बायां कन कने खाण ३२ ३ वेस वैसे ३७ ११,१२ SH दीधो? दीधी? . कटाळौया कंटाळिया तिण सं तिण सू ठामतां ठाम * 4.4.js. 3 4 4 4 4 4 4 4.3 २४ बुद्धो बुद्धी २० १०० बंलद बळद राम नाम माहजनां महाजनों सं सूं कन कनै माथ माथै * Norm ३१ ४९५ १०२ १०३ १११

Loading...

Page Navigation
1 ... 350 351 352 353 354