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भिक्खु दृष्टांत जद स्वामीजी झूठ रौ उघाड़ करवा रै वासते उत्पात बुद्धी सूं वली पूछ्यौ-आसौजी ! जीवौ छौ के ?
नहीं महाराज!
४९. साचा तो म्हांनै हो कीधा
साधां माहो माही बात कीधी जब खेतसीजी स्वामी बोल्या-अबै तो अखैरांमजी स्वामी आतमा वस कीधी दी है। जब स्वामीजी बोल्या-पूरी प्रतीत नहीं । आ बात किण ही अखैरांमजी नै जाय कही। ते सुणने त्यांने गमी नहीं।
पछै राजनगर चौमासी कीधौ । तिहां स्वामीजी मैं अनेक दोष पानां मैं उतार आहार पाणी तोड्यो।
चौमासौ उतार्यां स्वामीजी मिल्या । खेतसीजी स्वामी अखैरांमजी नै वंदना करवा ताकीद तूं गया, जब अखैरांमजी बोल्या-आंपारै आहार पांणी भेळी नहीं । पछै खप करने अखैरांमजी ने समझाया। जब अखैरांमजी स्वामीजी कनै आंसू काढनै बोल्या-आप म्हारी प्रतीत न दीधी जिणसू म्हारी मन उदास थयो । खेतसीजी तो म्हारी प्रतीत दीधी।
जद स्वामीजी बोल्या-म्हे प्रतीत न दीधी तौही थे साचा तो म्हांनैईज कीधा । गरीब साध खेतसीजी थारी प्रतीत दीधी तिणनैं झूठी कीधौ । इम सुणनै राजी हुवा।
५०. एकलड़ो जीव
स्वामीजी पुर पधाऱ्या जब मेघौ भाट आय चरचा करवा लागौकालवादी इम कहै-'भीखणजी गाथा मैं तो इम कहै-एकलड़ी जीव खासी गोता । अनै नव पदार्थ मैं पांच जीव कहै। तिण लेखे पांचलड़ी जीव खासी गोता इम कहिणौ।'
जद स्वामीजी बोल्या--सिद्धां मैं आतमा उवे किती कहै ? जद मेघौ भाट बोल्यो-सिद्धां मैं तौ कालवादी आतमा चार कहै है।
स्वामीजी पूछ्यौ-त्यां च्यार आतमा नै कालवादी जीव कहै छै के अजीव कहै ? जब मेघो भाट बोल्यौ-च्यार आतमां ने तो उवे जीव कहै
जद स्वामीजी बोल्या-सिद्धां मैं आतमां च्यार कहै, ते च्यारां नै कालवादी जीव कहे छै, इण लेखै चौलड़ो जीव तो उणांरी ई ठहर्यो। एक लड़ म्हारी वधती ठहरी । इम कही समझायौ। ते सुणनै घणो राजी थयो।