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भिक्खु दृष्टांत ६१. समझदार जान लेता है। कुछ लोग कहते हैं, "सावद्य दान के विषय में हम मौन रहते हैं । हम ऐसा नहीं कहते कि 'तू दे'।" वे इस प्रकार कहते हैं और उसमें पुण्य और मिश्र' का प्रतिपादन करते हैं । इस पर स्वामीजी ने दृष्टांत दिया
किसी स्त्री ने कहा -“यह लोटा हमारी दुकान में दे देना।" समझने वाला मन में जानता है कि उसने वह अपने पति को देने के लिए दिया है।
इसी प्रकार सावद्य दान के विषय में पूछने पर कहते हैं कि इस विषय में हम मौन हैं । छिपे-छिपे पुण्य और मिश्र का प्रतिपादन करते हैं। समझने वाला जान लेता है कि सावद्य दान के विषय में इनकी पुण्य और मिश्र की मान्यता है ।
६२. किसने कहा पाप है ? पुण्य और मिश्र की मान्यता वाले प्रत्यक्ष तो पुण्य और मिश्र की प्ररूपणा नहीं करते, पर मन में तो पुण्य और मिश्र की मान्यता रखते हैं । उस श्रद्धा की पहिचान करवाने के लिए स्वामीजी ने दृष्टांत दिया
किसी स्त्री को कोई कहता है- "तुम्हारे पति का नाम 'पेमो' है ?" "किसने कहा पेमो है ?" "नाथ है ?" "किसने कहा नाथू है ?" "पाथू है ?" "किसने कहा पाथू है ?"
पति का मूल नाम आने पर वह मौन हो जाती है। उससे समझ लेना चाहिए कि उसके पति का नाम यही है।
इसी प्रकार "क्या सावद्य दान में पाप होता है ?" यह पूछने पर कहते हैं "किसने कहा पाप है ?"
"क्या मिश्र है ?" "किसने कहा मिश्र है ?"
"क्या पुण्य है ?" यह पूछने पर वे मौन हो जाते हैं। तब समझने वाला जान लेता है, इनके 'पुण्य' की मान्यता है । इसी प्रकार मिश्र के बारे में भी यही बात लागू होती है।
६३. घर किसका बसेगा? वेषधारी साधुओं को कोई कहता है-"स्थानक तुम्हारे लिए बनाया हुआ है।" तब वे कहते "हमने कब कहा हमारे लिए स्थानक बनाएं।" इस पर स्वामीजी ने दृष्टांत दिया।
लड़का कब कहता है 'मेरी सगाई (मंगनी) कर दो ?
पर सगाई करने पर ब्याह कौन करेगा? - १. जिस प्रवृत्ति में पुण्य और पाप का मिश्रण हो, उसे मिश्र कहते हैं ।