Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नयनो खुल्यां....मुखमांधी उद्गार नोफळयां....वाह ....! आशु....! स्वप्न के सत्य....! हुं शुं जीवं छु...! हुं शुं लखु छु....! काव्य, कल्पना के कलमनी करामत ! जे कहो ते....पण प्रभुना चरणे सत्य समर्पण थाय छे त्यारे जीवननी क्षणे क्षण प्रभुमा तदाकार बनती जाय छे. श्रद्धानी रजकणोमां अंतरने विराटनो विस्मय जनक विसामो बक्षी जाय छे. आवा दर्शन आका दृश्यो सहज नथी होता....मानवीना हैया-भावना दर्शनमां ज्यारे निखालस प्रेमनी परिमल पसरे छ त्यारे प्रभु एना नयनोमां....एना हैयामां आवी वसे छे. बाह्य अंतर भले होय छतां अंतरमां अनंतर बनी सदा बसी जाय छे. श्री सूर्यशिशु For Private and Personal Use Only

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