Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण-पांचमु -: जीवन स्वस्तिक : सृष्टि पर ज्यारे श्रेष्ठ सर्जन थाय छे त्यारे शुन्यतामां पण अनेक रगो पुराय छ। त्यारे सर्जन करता सजनहारने सह अभिनन्दन-धन्यवाद आपी रहे छ । रंगोमांये ज्यारे रंगोलु मनने भरी दे एवं वातावरण जामे त्यारे जगतमां जनगणनुं रूप बदलाई जाय छे. आजे एनो कल्पना करोए तो पण मन महेकी उठ...विश्वनी विराट कयमा आजे न समजाय तेवू नतंन हतुं. वायुमां...पृथ्वीमां...पाणीमां... तेजमां...आकाशमां कोई और दिप्ति हता। आकाशमांये देवदुंदुभी गड़गड़ी रही। श्रेयांसरायना प्रासादे पण पुत्र जन्मनी बधाई जता निशान, ढोल, मृदंग वाजी रहया। घर घरमां आनह उधळो रहयो...गली-गलीये तेना तरंग फलाई गया... बधाई देनार, राजा पासेथी धणुं धणुं पामी गयो। सौधर्मेन्द्रन सिंहासन चल यमान थयुं प्रभुज ना जन्म जाणो मन भक्तिथा उछळो रहयुं। समग्र देवलोक सुघोषाना रण कता मधुर निनाद अने ईद्रना आदेशे गाजी उठयो। सर्वे तरंगोमां वहेता हता .. पुण्यनो कमाई करवा, पूज्यनी पूजा करवा, आनंदना आलमना रसास्वाद करवा कंईक तयारीओ करवा लाग्या । दार हजार सामानिक देवी, १६ हजार अंगरक्षक देव सहित.. एक योजन प्रमाण विभानमां बेसीने छप्दन दिककुमारीको For Private and Personal Use Only

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