Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
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श्री सीमंधर साहीबा, अरज करू करजोड़, जबलग शशि सुरज रहे, वंदना हमारी होय.
॥८
॥
हुंछ सेवक ताहरो, तुम छो चतुर सुजान, गुणअवगुण मत देखजो, दिलमे करूणाधार.
॥९॥
OwaRDom
(स्तवन)
काया पामी अति कुडी, पाँख नही आq उडी, लब्धी नही कोई रूडी रे, श्री युग मंदिर ने कहजो; के दधिसुत वीनतड़ी सुणजोरे.
॥१॥
तुम सेवा माहे सुरकोडी, ते इहा आवे एक दोड़ो, आशफले पातीकमोड़ी रे. श्री युग०
॥२॥
दुखम समयमा इण भरते, अतिशय नाणी नवीबरते, कहीये कहो कोण साभलतेरे.
श्री युग० ॥३॥
श्रवणे सुखीया तुम नामे, नयणा दरिसण नवी पामे, ए तो झगड़ा न ठामुरे.
श्री युग०
॥४॥
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