Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
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नयणे तुज परिसण रूयेजी, श्रवणे वयण सुहाय, मन मिलवाने टलवलेजी, कीजे कोडी उपाय. करो० ॥४॥
जिम मन पसरे माहरूजी, तिम जो कर परसंत, तो हुं हरखी दुरथीजी, तुम चरणे वीलगंत. करो० ॥५॥
पुण्यवंत ते पंखोयाजी, पग पग जेह पेखंत, फरी फरी देता प्रदक्षिणाजी, पूरे मननी खंत.
करो० ॥ ६ ॥
तुज दरिसण विण जीवंजी, ते जीवन मरण समान, अहवा मरण थको घणुजी, जाणु अधिक सुजाण. करो० ॥ ७ ॥
पूज्यो प्रनम्यो संथु एजोजी, तु गायो गुणवंत, जेणे तु नयनो निरखीयोजी, तस जिवित फलवंत. करो० ॥८॥
ते दोन कलही आवशेजी, मुज मन ठारणहार, • तुज मुखचंद निहालताजी, सफल करीश अवतार. करो० ॥९॥
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