Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ तपनी अनुकुळ्ता न होय तो, चार वस्तु (द्रव्य)नु एकातj, जळ, रोटली, भगनी दाळ. अने दुधथी करवं. लीला शाक भाजी, अने फळोनो त्रणे दिवस सर्वथा त्याग, अणिशुद्ध अखंड, ब्रह्मचर्य- पालन, विकथानो सर्व त्याग, परमतारकरीना ध्याननी निरंतर रमणता, वण दिनमां शकय प्रयत्ने परमतारकश्रीना मंत्रनो २५००० जाप करवो, अने कममां कम एक लाख, (१,००,०००) जाप पूर्ण न थाय त्यां सुघो प्रतिदिन कममां कममां पांच (५) नवकारवाळी अवश्य गणवी, तत्पश्चात्, प्रतिदिन कर्ममां कम एक (१) जपमाला अवश्य गणवो, मंत्र जापन प्रतिदिन माटे एक ज स्थान राखवू, एक स्थाननी अनुकुळता न होय तो बे-त्रण स्थान नियत राखधा, वस्त्रो श्वेत, शुद्ध, पवित्र राखबा, आसन श्वेत, जपमालिका स्फटीकनी, शुद्ध श्वेत सूतरनी गूंथेल, अगर शुद्ध सुखडनी प्रतिष्ठित राखवी। जापनो समय दिवसमां बे-त्रणवार नियत राखवो। आराधन अने जाप समये दिवसे पूर्व दिशा सन्मुख बेस. इशान खुणा सन्मुख अनुकुळता होय तो ते प्रमाणे करवू, वस्त्रो, आसन, जपमालिका एक ज राखवा, परमतारकरीना प्रतिमाजी होय तो तेनी स्थापना वण नवकार महामंत्र गणीने करवी, ते न होय तो अन्य कोई पण परमतारक श्रीना प्रतिमाजी स्थापन करवा । प्रतिमाजी स्थापन करता पहेला मंत्रथी भूमि वस्त्रावि मंत्रीत करवा, श्री कुंम अने अखंड दीपकनी स्थापना करवी। For Private and Personal Use Only

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