Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री कुंभस्थापन विधि पवित्रतम कुंभने गेवा सूत्र (नाडा छडी) बांधीने "ॐ ह्रीं श्रीं सर्वोपद्रव नाशय नाशय स्वाहा" ए मंत्र लखीने चंदनन स्वस्तिक कळशमां आलेखी सवा रूपियो पंचरत्ननो पोटली एक (१), अने जळयो शुद्ध करेली सोपारी पांच (५), पधरावी वण श्री नवकार महामंत्र गणवा पूर्वक श्री बृहत्शान्ति बोलता कळश भराववो. कळश उपर चार पान, श्रीफळ, रंगीन रेश्मी घस्त्र, मोंढळ, भरडाशींग बाँधो सुगंधी पुष्पनो हार पहेराववानो, ज्यां श्री कुंभ स्थापन करवो होय त्यां प्रथम चंदरवो बंधाववो । श्री कुंभ भरनार कुमारिका अगर सौभाग्यवती बहेन पासे कंकुनो स्वस्तिक करावी सवाशेर जब अगर डाँगरनो स्वस्तिक करावी, सोपारी मूकावी, श्री नवकार महामंत्र गणवा पूर्वक परमतारक श्रीना प्रतिमाजीने त्रण प्रदक्षिणा देवरावी, श्री कुंभने वाजते गाजते "ॐ ह्रीं ठः ठः ठः स्वाहा" ए मंत्र सात वार गणी श्वास स्थिर करी, स्वस्तिक उपर स्थापवो। प. पूज्य. गुरुमहाराजश्री पासे उपरोक्त मंत्र गणवा पूर्वक वासक्षेप कराववो। श्री कुंमने स्थानके बाजुमां अखंड दोपक स्थापवो, व्रण टंक धूप करवो,. निम्नोकत काव्य बोलवा पूर्वक व्रण यार कुसुमांजलीथी कुंने व्रग वार वधाववो। पूर्ण येन सुमेरुशृंगसदृशं, चैत्य सुदेदीप्पते, यः कीति यजमान-धर्मकथन, प्रस्फूजिता भाषते ; यः स्पर्धा कुरुते जगत्त्रय महादियेन दोषारीना, सोऽयं मंगल-रूप-मुख्य-गणनः कुंभश्चिरं नंबतात् । For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93