Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 85
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नंदन श्री श्रेयांसको, अंगज सत्यकोनोरे, रूक्ष्मणी राणी नाहलो, दुजे ऋषभ नगीनीरे. सी० ॥६॥ सुपनान्तर प्रभुजी मल्या, भयो परमानन्दोरे, बुध जसवंतसागर तणो, जिनेन्द्र थुणोदोरे. सी० ॥ ७ ॥ (५) सुण सुण सरस्वती भगवती, ताहरी जगविख्यात, कविजननी कीर्ति वधे, तिम तुमे करजे मात. ॥ १ ॥ सीमंधर स्वामी महाविदेह मा, बेठा करे बखाण, बंदना मारी त्यां जई, कहेजे चन्वा भाण. ॥२॥ मुज हृदय संशय भरयु, कोण आगल कहु बात, जेहसु बाँधु गोठडी, तस मुज न मोले घात. ॥३॥ जाणु तो आवु तुम कने, विषभ वाढ पथ दुर, डुंगर ने दरीया घणा, वच्चे नदी वहे पूर. ॥ ४ ॥ ते माटे ईहा कने रही, जे जे करू विलाप, ते तुमे प्रभुजी सांभली, अवगुण करजे माफ. For Private and Personal Use Only

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