Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 83
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir योड़ ही अवसरे आपोये, घणं नो हो प्रभु छिपछे बातके, पगले पगले पार पामीये, पछी लहीये हो सधला अवदातके. श्री सीमंधर० ॥४॥ मोडं वहेलू तमे आपशो, वीजानो हो हुं न करू संगके, श्री 'धीरवीमल' गुरू शिष्यणो, राखीजे हो प्रभु अविचल रंगके. श्री सीमंधर० ॥५॥ (३) (राग- अजित जिणंदरों प्रोतड़ी-- ऐ देशी) श्री सीमंधर साहीषा, विनतड़ी हो सुणीये किरतारके, ते दोवश लेखे लागसे, जिण दिवशे हो लईशु विदारके. श्री सीमंधर साहीवा० ॥१॥ हेजाल हेयू उल्लासे, पण नयणे हो निरख्ये सुखथायके, जे जलपाना पिपासी ओ, तस दुख हो करी तृप्ती न थायके. श्री सीमंधर साहीबा० ॥२॥ जाणो छो प्रभु बहुपरे, मारा मननी हो वीतकनी बातके, तो शु ताणो छो घणु, आवो मीली हो मुज थई साक्षातके. श्री सीमंधर साहीबा० ॥३॥ For Private and Personal Use Only

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