Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 80
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org स्तुती विभाग (राग - शत्रुंजय मंडण ) (१) अजवाली वीजे चंदा तुं अवधार, विनतड़ी मारी जय विदेह मोझार; प्रणम सीमंधर मुज दुरीत करजोड़, नमता प्रभुजी नित पहोचे वंछित कोड़ उत्कृष्टे काले सितेरसो जगनाथ, उपजे महीमंडल मुगतीपुरीनो साथ ; तिहा केवलज्ञान केवनदर्शन अनंत, समरो भावे भवि जिम पामो भव अंत. अढीद्विप माहे पंचविदेह प्रधान, विचरे तिहा प्रतिदीन विशविहरमान; अतिशे गुणवंता दे भवियण उपदेश, तस वाणी सुणतां सांसो नही लवलेश. शाशनहीतकारी समकित दृष्टि देव, से सानिध्य कीजे श्री संघनित प्रतिमेव; श्री विजयगच्छनायक सागरज्ञानसुरिद, पद पंकज प्रणमुं अहनिश वीर जिणंव. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only 119 11 ॥२॥ 113 11 ॥ ४ ॥

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