Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
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-: श्री सीमंधर स्वामीना चैत्यवंदनो :
(१)
सीमंधर जिन विचरता, सोहे विजय मोझार, समवसरण रचे देवता, बेसे पर्षदा बार.
नवतत्त्वन दीये देशना, सांभली सुरनर कोड़, षट द्रव्यादिक वर्णवे, ले समकित करजोड़.
इहाथ की जिन वेगला, सहस्त्र तेवीसशत ऐक, सत्तावन जोजनवली, सत्तर कला सुविशेष.
द्रव्यथको जिन वेगला, भावथो हृदय मोझार, त्रिकाले वंदन करूं, श्वासमाहे सो वार.
श्री सीमंधर जिनवरूऐ, पूरे वांछीत कोड़, कान्तिविजयगुरू प्रणमवां, भक्तिबे करजोड़.
(२)
जयतु जिन जगदेकभानु, काम कश्मल तमहरम, दुरित ओघ विभाववर्जित, नौमि श्री जिनमन्धरम. प्रभुपाद पदमे चित्त लयनो, विषय दोलित निर्भरम, संसार राग असार घातिक, नौमि श्री जिनमन्धरमः
अतिरोग वह्निमान महीधर, तृष्णा जलधि हितकरम, वंचनोजित जन्तुबोधक, नौमि श्री जिनमन्धरम.
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