Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
३४
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रकाश पंथे लाववामां तमेज एक समर्थ छो आ प्रमाणे अंतरना भावभक्तिना ओवारणा कर्या, सौधर्म इंद्र महाराज पृथ्वी पटे प्रभनी माता पासे आवे छे कईक देवांनी कतार साथे ...
उमिनी सितार बजता सगोतनी रमजट रेलाय छे. ज्यां जुओ त्यां वृष्टि, पुष्यनी, धननी, कंवननी, वस्वनी, धान्यनी आज आखीये पुंडरिकगणी नगरीनी आभा न बदलाई गई । इंद्रे प्रभुनी मानाने धन्यवाद आपा नमस्कार करो प्रभुनो जन्म महोत्सव करवा म.टे विज्ञप्ति करी ।
10
प्रमजीनी माताने अवस्वापिनो निद्रा ना धेन चढाव्या । प्रभुजी ना प्रतिबोंधने तेनां पासे स्थापन क • इंद्रे पांच रूप to... एक छत्रे धर्मं, एक वज्र उलाळे, बे चामर ले छे.. एक प्रभुजीने हाथमां धरी... भक्तिना उछरंगथो मेरुपर्वत पर लई चाल्या... पाछन असंख्य देवी नाच गान करता अनंद विभोर बनी, कोई कोई आश्चर्यथी कोई कोईनी प्ररण थी कोई कोई भक्तियो, जन्मोत्सव नोहाळवा चल्या...
समस्त अवकाश देवोना रूपयी आच्छादित थई गयं अने पर्वत पर प्रभुजीनो जन्माभिषेक एक करोड ६० लाख कलश थी ६४ इंद्रो कर्यो आ कलशा आठ जतांना हता । क्षीरवर, ईश्वर, विगेरे उत्तम समुद्रना अने गंगा नदीनुं निर्मल जल लाव', औषधी चरण मिलावी... पंत्राभिषेक कर्यो··· आ जल अभिष यी तमारो देह शुद्ध थाय छे पण अमारो अत्मा तारी भक्तिना बारी थी शुद्ध थाय छे। प्रभु ए वळगानी धाराथी विह्नन यता नथी ? समस्त जगतनी सहयशक्ति प्रभुता परमाणुमा छे
For Private and Personal Use Only