Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

View full book text
Previous | Next

Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हाजर थई सूतिकाकर्म करवाने. अघोलोकनी आठ कुमारीओए सबत वायुथा एक योजन प्रमाण भूमिका शुद्ध करी उर्ध्वलोकनी मठ दिक्कुमारीआए सुगंधो पुष्प मळनो व ष्ट करो... पूवरुकनो कुसारीओए दर्पण धर्या... दक्षिणरूचकनी दिवालाओ ऐ आठ कलश धा... पश्चिमनी अठे पंखा धर्या... उत्तग्नो आठे चामर ढल्या... चार विदिश रुचकनी चारे दीपक धर्या... रु वद्विग्नी चारेए प्रभुनो नाळ क.य्यो अने व्रण केलीधर बनाव्य ... दक्षिगमा मदन करे, पूर्व गृहमा स्नान कराव्युं, उत्तर घामां अरणा मां अग्निमां चंदनना धूम कर, प्रभुने रक्षा पोटली बांधो। अने एक कदला गृहमां प्रभुने तेना माता सहित समालपूर्वक सूवाडया... सौधर्म इन्द्र समामांग उठी प्रभुनो जे दिशामा जन्म थयो छ ने तरफ गया. मस्तके अंजलिपूर्वक हाथ जोडी बहुमानथी, उछळते हैये सात-आठ डग भरा शकस्तव द्वारा स्तवना करी. हे प्रभा खरेखर भोगमां भूला पडेलो दू नयाने भक्तिना झले मलाववा आप भीमोया तरीके छो. विश्व भाज तारो मायाने छाडी संवारनी मायामां रक्त छे. तेने सत्य समजय आपो For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93