Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
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उदय छ जाणो लत्यकोने आनंपनी अवधी कयायो होय । तन, बन, जोवन-रोम रोम पुलकीत बनो गया।
रातोनो आरजु अने प्रमातनो प्रार्थना फळी, हवे ते सुख पूर्वक गमने वहन करे छ, नवा नवा अने उत्तम दोहदोने श्रेयांसराय पूर्ण करावे छे...
दिन पर दिन आंखना पलकारनी जेम व्यतीत थई गया. ज्यारथो प्रभुजी उदरमा हता त्यारथी श्रेयांपकुमार राजाना 'ज्यमां धन, धान्य, यश, प्रतिष्ठा, प्रतिभा विगेरेनी सर्व प्रकारे वृद्धि हतो आज एथी पण विशिष्टता हतो।।
भरतक्षेत्रमा विचरता कुंथुनाथ प्रभु मोक्षे सीधाच्या अने विरही भूमि पर अरनाथ प्रभुनो जन्म थयो तेना अंतरमलनो आ शुभ समय हतो.. वंशाख वद १० दशमी नो शुभ दिवस चमकायमान हतो। घडी, पळ नक्षत्र दिवसना शुभ लग्नमां चद्र आवे अने उच्च गहनो योग थतां साडानव महिना व्यतीव थता...
सन्यको राणीए रूप रूपना अंबार जेवो जाणे चांदनी टुकडो जोई लो ..नवन तनो भुलायमता अने पुष्य नो कोमलतागुणोनी सुंदरता जेमां भरी छ. दुनियाना सौंदर्यताना अने शांतरसना परमाणु जेमा जडायेला छे एवो कोमल काय सरोखा अणज्ञानधारक पुत्रने जन्म आय्यो...
श्रेयांसराय- विशाल आंगण आज अनन्य चेतनाथी छलकाई उठ्युं छे. सत्यकोनी जीवन अवनी पर आनंद केवा? वरसता अषाढनो हेली उठो, मन मयूर रहको उठया...रोमराजी नर्तन करवा ल गो
भावना ताल ठमको उठया.
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