Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संसारनी हर निवास करनार मानवीने संयमनो प्रवास केटलो दुष्कर छ... संयम फलनो सौरभ जेवू सुखकर नथो...पण रेतोना कणमांथो तेल काढश जेवं दुष्कर छ। सरल मार्ग नथी तेम धणी धणो यक्ति स थ द्रष्टांतपूर्वक धणी समजणपणे पण कुमार पोतानी भावनामा निश्चल रह्या । आ मिश्चनता जोई माता पिताओ थोडा समयनी राह पर राख्यं...कुम रे भार कमनो अपुर्णा समजो माता-पिता ए तीर्थकर ना अचार छ ज अने संयम रस्ते जव नो... समय तो जीवन' धपर सनकनो कुच नो जेम आगे कदम करी रहया... एक बार सिमंधर कुमारनी सभ मां अलख अंबार चमकता देहवळ सौंदर्य का स्थान जेवा लोकांतिक देवो प्रकट थया... ___ को जय जपकर जैर शासनो..अने सिमंधर कुमारनो... आ प्रमाणे शब्दोच्चार करता हता, श्री सिमंधर कुमारे तेनो सत्कार कर्यो। हे स्वामो ! आ संपार त्याज्य छ, संयम ग्राहय छ. आध, व्याधि, उगचिती धिमां सपडायेला विश्वने तमारो एक आध र छ। ए आं धयो बचावा माटे हे ! स्वयंबुद्ध ! अरिहंत प्रभु सपस्त विश्वने हितकार एवा तीर्थनी प्रवृत्ति करो... दर्द पर औषध, दुःख पर अश्वा 'न, नी आवश्यकता छे. धा पर मलम पटानी अने संतप्त धरती ने धारा धरनी आवश्यकता छ.। प्रभुजोए पोतानो संग्ष समय जाणो वरसीदाननी महान वृतिने हाथधरी पृथ्वी पर ते दिनथाज धननो वृष्टि वरसी रही, देवो लावे धन, प्रभु दरसावे धनना दान, आ प्रमाणे सांवत्सरोक रान दे छ। For Private and Personal Use Only

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