Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
च पांच धावमाताथी खेलाता राजकुमार....श्री सीमंधर कुमार बी बोलावना...इंद्रोए मर्यादा थी भक्ति भावना प्रगट कर्या एथी एमनु सिमंधर कुमार नाम सूचित थयु. दिवस अने रातकाळ चकनी चक्रीमांथो पसार थाय छ। श्री सिमंधर कुमारे बाळवस्थाने पराक्रम द्वारा, कुमार अवस्थाने ज्ञान द्वारा... यादगार बनावी दीधी। हवे प्रवेश थयो युवावस्थामा ..
जेम फागण लहेरे के सुडानु हास्य प्रगटी उडे, तेम सिमंधर कुमारना अंगे अंगे यौवन के पु हसी उठयो केसुरंग फाली रह्यो...
संपारकर्मना भोग्यपणा ने कारणे भावि अरिहंत छतां संसारमा जुकावं पडे छ। सर्वे तीर्थरो भोगमा उत्पन्न थाय छे. उपभाग-भागथो वद्धि पामे छे. तेज भोगथो कमलनी जेम अंग्थो अलिप्त रहे छे म ता-पिता मुंदरनार-गुणनी खाण रुकिमणो जोडे जीवन - सबंध बांधे छ। पांचसो घनुषनो पडछंद देह. सशक्त सुघड, सुवर्ण रंग, काय ....मनहर लावण्य....जोई रुक्मिणी पण जोवनने धन्य माने छ....संसार रथना बे चक्री
धारो गतिथो सप्तार मार्ग पर प्रशण करे छ र ज्यनी धुरा स थ जोवतनी धपधुराने पण संभाळे छे। सुख दुःखना विराट विहारमा नथी शोक नथ' गंज...ा छ प्रम अवतार ...कयांथी होय ए नळ ई !! ... पमपनो सरवाणा मिर्जरना वहेण समी वही प्राय छ। प्रभुना माता-पिना पण आ पुत्रने पुत्र-वधुनी, सुहागो-सुवासी जोडलो जोई आनंद पामे छ...
अ आनंद संपारनो किनारनो हतो...आत्मना ओवारनो भानंद अभय छे, ज्यारे संगारनी किनारनो आनंद क्षणीक छ ।
For Private and Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93