Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४२ अहो ! आ कोण, विष्णु के ब्रह्मा ! के शंकर कोणे अवतारा... आते कोई रूप छे ! Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ... अहो ! आज आंखडी अने, जीवन बाटडी एतो दर्शने धन्य बनी गई । आ सीमंधर कुमारे संसार नो त्याग कर्यो ? आ कोमल काय संयमनी कष्ट यातना कई रोते उठावशे... फक्त एक कुसुम शुं । पहाडनो भार उठावी शकशे ? परंतु सोनो देखता सीमंधर कुमारे संसारथी निष्क्रमण करी दीधुं । ज्यां सुधी अरिहंतप्रभुनी केवल ज्ञान प्राप्ति यती नथी त्यां सुधी तेओ मौन-भाषी रहे छे... दामदई ससारोपण मां प्रभु दाननुं महत्व बतावे छे. तेम संयम लई संयमनुं मुख्य अंग तपनुं महत्व बतावे छे. जे तप प्राणीना नीकाचीत कर्मने भेदी भवभ्रमणने छेदी... केवलज्ञाननी ज्योति प्राप्त करावे छे. तप, परिषह, उपसर्ग सहतो आत्मा स्वभावस्थ थाय छे. कर्मनी कठीनता अने कठोरताने भस्मीभूत करवाने संयम सपाटीपर प्रभुजीए तपयज्ञ आदर्यो. ध्यान, का उस्सा तेनी वेदिका बने छे. प्रभुजीनो संयमदिन हतो फागण अजवाळी ब्रोज, प्रभुनी व्रण ज्ञानथी शोभीत हता छतां भवसंसार थी पार उतारनार संयमने प्राप्त करतां.. पंचेन्द्रिय जीवो ना मनोगत भावोने जणावमार चोथु मनः पर्यव ज्ञान प्राप्त थयुं... For Private and Personal Use Only

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