Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे शक्ति सर्व जीवोना सुखनी आशा. भावनाना संगीन मूळमायो प्रप्त थाय छे. तीथंकर पणानी प्राप्ति “वश्वमित्रो" नो आभूत पराकाष्टा विना प्राप्त नथी ? ए भावनाना बळ बडे न समस्त दुनिया इंद्रो, देवो, असुरो, ज्योतिष, देवी, नरेन्द्रो, अने कुररत पण जेने चरणे नभ्रीभूय बनो जाय छे...जेनो सेवा माहे... बेना दर्शन काजे.. अंतरेतलसाट होय छे... तरंग होय छे... आवा अनुपम महोत्सव ए एनी प्रतितो छ... कुदरती जन्मल बाळकनी आवो अखुट धीरता.. जोई मिथ्यात्वी देवो संभ्रममां पडी जाय छे.. कोई आश्चर्य पामे छ । विश्वन' सार वस्तुथी प्रभुनु अर्चन, पूजन, सुंदर अलंकारथी आभूषित करी, गुण स्तधना करता देवो नृत्यपान करे छ... भरतने हरण करनार प्रकाशना मंगल वेरनार अने अंतरद्विपने मलावनार एवी आरति करे छ। अने प्रभने आशीर्वाद आपे छे, "चिरंजीवो विश्वनं कल्याण करो... सुधी जगत पर सूर्य चंद्र प्रकाशे त्यां सुघी.. भूमितलने अजवाळो । जेवी भावभक्तिथो प्रमुज ने मेरुपर्वत पर लाग्या हता तेवी भक्ति आ ओक जडमां पण वरसो रहो, मेरुग्वंत मानतो हतो के परेचर मारा जेवू उत्तम अने धो तावाळु दुनियामां कोई नयी। पण खरेखर भाराथी अधिक बल एश्वयवान प्रभु मारा देह पर मावो वस्या, मारा देहने पावन कर्यो... मारे अहोभाग्य छ। भक्तिना तानमां सर्व अत्मगगनमा उडता हना भक्ति रमजट पूर्ण थतां सर्वे देव देवोआ प्रभजाने वंदना करो पोतपोताना For Private and Personal Use Only

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