Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
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धर्मना ध्वंस थी धससमती धरतीनी खोणे दयानी अवतार अवतरे छ, अने त्यारे कोई अनोखा जादू थ य छ ।
सुर्यना आवागमन पहेला ज विश्वना अंधारने उपाना तार चोरी विदाय आपो दे छ। गगनांगण, धरतीन आंगण अने सोहांगण अजवालाथी छलकी जाय छ। विश्वना समस्त पदार्थ अने पंखोगण अने मानवगणमा चेतना प्रकाशी उठे छ।
दुःख भूलो सुखनी आशामां प्रयाण आदरे छे तेवी ज रोते परमात्मा-तिर्थकर प्रभुनो मातानीकुक्षीरूप धरतोतलमा प्रवेश थतां ज दुनियाना अणुने० परमाणुमां शांतिनो संचार थाय छ, सागर अने सरितामा संगीत उठे छ। समीरमां सौरभ उठे छ ।
साते नरकोमा यातनाथी रीबाता नरकोने पण क्षणभर शांति अने प्रकाशनी प्राप्ति थाय छ ।
अवनी पर अवतरनार अरिहंत प्रभू मात नी कुक्षीमा वृद्धि पामे छे; तेम तेम माता पिताना कुलनो राज्यनी, अने पोतानो यश, किति, प्रतिष्ठा, तेमज प्रतिभा वृद्धि पामे छे। संपत्तिनो ढेर रचाय छ। देवो पण सेवा करव' हजुर, हजुर, थईने रहे छ। वैरी वश थाय छ। विश्वना प्रतिकूळ भावो अने पदार्थों पण अनुकुळनाने समर्प छ। आ छे निसाना अनुपम अवतारनी अगमनिगमता...
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