Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
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अंतरनी आगने पखाळी ज्ञाननो प्रकाश पामी शके छे। महाविदेह ना पहोंची शके तो ते भरतां रही भाव थी श्री सोमंधर प्रभुनी प्रार्थना स्तवना करीने साक्षात्दर्शननो अनुभव प्राप्त करी आत्माने धन्य बनावे छ ।
"हजारो भाईलने अंतरे रहेल सूर्यनारायण तेनी प्रमा वडे पृथ्वीने प्रकाशीत नथी करतो शुं"! ...
सरिताना सलिल बिंदुओ केटलाये विस्तारोमा प्रसरी धरती ने प्रफुल्लित नथी बनावता शुं? ते ज रोते अंतरभावना हजारो माईलना अंतरने आंबी प्रभुजीने चरणे नहीं स्पर्श शुं !! शुं प्रभुमिलन पण न भनावी सके ! एयो ज तो भरतना मानवी विरहमान प्रभु श्री सोमंधर स्वामी ना दर्शन माटे तलसाट अनुभवता अंतर भावना थी समवसरण मां पहोंची दर्शननो लाभ लई आत्मपर्शन करे छ। अने भी सीमंधर प्रभु साथे अंतरे अंतर मीलावी, दुःखनी कथनी अने व्ययानो ताय करे बीजना चंद्रमा जोडे संदेशा मोक ले छ ।
श्री सीमंधर जगधणी आ भरले आवो करुणावंत करुणा करी अमने वंदावो।
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