Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
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पी आबाव छ, न्याय मोतिने गुण छे त्यां नम्रतानो वास छ, कोतिनो आवास छ।
गुणपी समर देश आबाद बने छ... गुणषों समर राजा प्रजाप्रिय बने छ गुगथी समर आत्मा स्वभाव दशामां लोन बने छ...
मुख्यता ए छे के कोई खुणे पण हृदय विदारक नयन द्रावक...करुणता देखातो नयो क्याय पण गरीबोनी तनहाई न हत', सौ सुखी हता। आ नगरीता राजा श्रेयांस ाय छ, नाम प्रमाणे ज जेना गुण छे. प्रजाना अने पोताना श्रेयने साधनार छे. द तारीमा दानेश्वरी जेवा...जेना जोवनमायो नकार शब्द अदृश्य थई गयो छे. जेणे धर्मना योगथी जीवननुं मुख्य अंग दान बना युं छे. जे संपत्ति, समृद्धि, मलो छे ते क्षणभंगुर छ, तडका-छ या, जेवी चंवल छे... राजलक्ष्मी ए प्रज नी लक्ष्मी छे. प्रजाना सुबने मटे वापरवानो छ। लक्ष्मीथी कृतार्थ बनवा माटे, लक्ष्मीनी ममता घटाडवा माटे, दान ए अमूल्य छ।
वान थको भव पार करो जवाय छे...एथी तो प्रमुए संपारीने प्रथम महत्व अने जरूरीयात नो उपरेश करवा दाननी वर्षा वरस वो छ, संयमने स्वीकारता पहेला...
श्रेयांसराय दानना भूषण, बाननादूषण, अने पामावामनो विवेक बराबर समजे छ...
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