Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकरण...चोथु -: प्रभु जन्म : जे जीवन- दरेक प्रभात आशा, अरमान अने पुरुषार्थथी मरेलुं छे मानवीनी कल्पना दृष्टिना अरमानोने आकार आपवानी ताकात ए निसर्गनो अनुपम प्रेरणामां भरी छे. निसर्गनी कर्तव्यरता जोई कथा चेतनने चमकार न जागे । परंतु ए स्थल दष्टि पहोचे कयाथी निसर्गनो सुक्ष्म निगाहमा । ___धन वैभव...अने धर्म वैभव, गुण, सौंदर्य अने कला सौरभ थो...महेंकतो ए रमणीय वंदनीय धरणी पर सदा वसंत गाजतो लागे छे. वसंतराजना गुंजनमा मस्त बनी समस्त वन राजी राचती लागे छे जरणाना खलभल वहेता पाणामां जाणे मुक्त हास्यना नाद साद करे छे... पृथ्वीमां सौरभ छ, वायमां बहोली शीतलता छ... पशुपंखीना मधुर गान बंसीना तान जेवा मनोहर छ...धारे बाजु मानंदना रंग फवारा उडौ रहया छे, ए पवित्र भूम ना पालक धेयांसराजाना दरेक प्रभातनी भात मां कोई तरतमता हती... एना अंगे, अंगे प्रभाते अने राते उषा अने संध्याए एक्ज भाव अने एक ज प्रभाव हतो मानव कर्माधीन छे कर्मो मानवनी साथे ज छ...कर्मोनं फळ ए प्रारब्ध छ प्रारब्धनी पिछान पुरुषार्थ पर छे.. कुदरतनी सत्ता कोई अगम्य छ... For Private and Personal Use Only

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