Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कयांथी ? एयो ज तो तारा प्रतिबिमां भावना आरोपणे नं साक्षात दर्शन पामी जीवनना नयनने कृतकृत्य करुं छु ।
हा, तारा आगमनी आरसीए प्रकाश्यं छे के महाविदेहमां श्री सोमंधर स्वामी आदि प्रम बिराजमान छ। वर्तमान काळमां विचारता तेओ तिर्थंकरो ज छ। अने तेओमां तीर्थकर समान ज गुणा-भावे छे, तो ते विचरना प्रभु भरत-क्षेत्रना रोबाता मानवी भाटे प्रेरणारूप छ ।
श्री सीमंधर प्रभुना साक्षात् दर्शनथी कक भव्योनो उद्धार थनार छे.
रणमां जलन दर्शन दुर्लभ छे लेम भ्रमथी भरेला दोषीत भरतना मानवीन पूण्य छे के तेओने कल्पवृक्ष अने कामघटथी अधीक महिमावंत श्री सीमंधर प्रभुनी सेवा मळो छे.
किंतु प्रत्यक्ष दर्शन दुर्लभ छ ।
भरत क्षेत्र अने महाविदेह क्षेत्र बच्चे हजारो माइलोनुं अंतर छ। उंचा उंचा पहाडो.. मोटी मोटी नदीओ.. भयंकर जंगल अने भयंकर वनचरो मार्गमा अवरोध रूप छ।
जेन पूण्य प्रकृष्ट होयतेज हजारो अवरोधोने अने हजारो माईलोना अंतरने आंबीनेय पहोची शके छ जना घणां कर्मो खपी गया छ... जे निकट भवि छ... जेने सुरवरनी सहाय छे ते ज व्यक्ति महाविदेहनी स्वर्गसमान पूण्यमूमियां आववान परिवळ प्राप्त करी शके छ।
For Private and Personal Use Only