Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५ वहुनी समजणता, चार चारना वलीदान, एक जिंदगी लाख लाख अभिनंदन, रे! पाप! पापनो पोकार (हरिश्चंद्र), विगेरे व्याख्यानो द्वारा अनेक आत्माओना हैयां धर्मानुरागी बन्या छे. एटलुज नहिं पण तेओश्रीए पर्यषणापर्वमा बबे टाणा रही स्थळे स्थळे महानपर्वनी आराधना करावी अमारा संघने ऋण बद्ध कर्यो छ. बपोरेपण बहेनोमां भाष्य तेमज मलयासुंदरी चरीत्रनुं वांचन रहेतां घणां ज लाम लेता हता. चातुर्मास दरम्यान सवारे ६ वागे प्रभ प्रार्थना थतां सौ होंशभर्या दिलडे साधारण भवनमा दोडी आवतां एक वखत प्रार्थनामां आवनार बीजे दिवसे आक्वानुं चुक्ता नहि. अनेक आत्माओ प्रार्थनानो विशेष लाभ लइ शके अने पूज्यनो विहार दरम्यान स्मृतिरूप घरे पण प्रार्थनानो लाभ लइ शके ए हेतुथी पूज्यश्रीनी प्रेरणाथी "दीलदीधां देवने" ए नामथी (प्रार्थना) पुस्तिका पण प्रगट थइ चकी छे. पर्यषणा पर्वनां प्रसंगे "पर्व पद्म परिमल" पुस्तिका प्रगट करवामां आवी हती. . वळी पूज्यश्रीए श्री स्वर्ग स्वस्तिकतप अने श्री सोमंधर स्वामीना अठुमतप, श्री शंखेश्वर पार्वनाथना अटुमतप, मोक्षतप ज्ञान दर्शन चारित्नो विगेरे सामुदायिक आराधना उत्तरपारणा, पारणा अने एकासणा व्यक्तितगत तेमज संघ तरफयो करावया पूर्वक, अनेक प्रभावना पूर्वक करावी हती, __ तेमाये श्री सीमंधर स्वामीनी आराधनाए अमारी अंतर उमि छलकावो. अंतर जाणे महाविदेहमां जइ साक्षात प्रभुना For Private and Personal Use Only

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