Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अपूर्व आराधना : स्व. पूज्यपाद अगमोद्धारक आचार्यदेवश्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ना. पट्टप्रभावक पू. आचार्यदेवश्री माणिक्य सागर सूरीश्वरजी म. सा. नी. आज्ञावतिनो स्व. साध्वी पू. पूष्पाश्रीजी म. सा. ना. स्व. शिष्या पू. सुमलयाश्रीजी म. सा. ना. स्व. शिष्या पू. सूर्यकान्ताश्रीजी म. सा. ना. शिष्याओ पू. पद्मलताश्रीजी म. सा. तथा पू. मयणाश्रीजी (श्री सूर्यशिशु) म. सा. आदि ठाणा १३ ना पुनित पगला मद्रास, साधारण भवनमां थया, ने जाणो वोर वाणी अने सदाराधनानो सुयोग जाम्यो. तेमाये बाल, वृद्ध तमाम साध्वीजी म. नी आराधना कराववानी सुंदर रीतो अने प्रेरणा नो त्रिवेणी संगम मळयो. __ प्रवेश दिनथी ज पू. सूर्यशिशु म. ना. व्याख्यानोनी धारा वहेवा लागी सौ प्रथम संगकारंग व्याख्याननी असर भावुको उपर विशेष पडी अने रविवारना जूदा जूदा विषयो उपर व्याख्यान रहेतां सौना हैयां कंइक मेळव्यानो संतोष अनुभवतां. खास हकीकत तो ए छे के तेओश्रीना बाल शिष्याओ सचोट शैलीमा स्वरचित काव्य व्याख्यानो मधर शूरथी मद्रास संघने अर्पताँ त्यारे तो कोई ओर धर्मरंग जागतो हतो. एक एक विषयो मार्मिक अने हृदयस्पर्शी हतां. जेवांके भावका झरणां, ज्वाला ज्यारे जलबने छे. अल्प विराम के पूर्ण विराम ? शूळी सिंहासन बने छे. अमरकुमार, कामलतानी करुण कथनी, झाझरना झमकारे चाले झाझरीआ मुनिवर रे, सासुनी सता ने For Private and Personal Use Only

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