Book Title: Bhagwati Sutram
Author(s): N V Vaidya
Publisher: Godiji Jain Temple and Charities

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Page 8
________________ श्रीमद्भगवतीसूत्रम् ५ जीवियं ६ मरणं तहा। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अटुंगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सावत्थीए नयरीए अजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहप्पलावी, अकेवली केवलिप्पलावी, असवन्नू सव्वन्नुप्पलावी, अजिणे जिणसदं पगासेमाणे विहरइ ॥ (सू० ५३९) ३. तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ, जाव एवं परूवेइ-"एवं खलु देवाणुप्पिया, गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ, से कहमेयं मन्ने एवं ? । तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे, जाव 10 परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अन्तेवासी इंदभूइ नामं अणगारे गोयमगोत्तेणं जाव छटुंछट्टेणं एवं जहा बिझ्यसए नियंठद्देसए जाव अडमाणे बहुजणसई निसामेइ, बहुजणो अन्नमनस्स एवमाइक्खइ ४- ‘एवं खलु देवाणुप्पिया, गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे 15 विहरइ, से कहमेयं मन्ने एवं ?'। ४. तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म जाव जायसड्ढे जाव भत्तपाणं पडिदंसेइ, जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी- “एवं खलु अहं भंते, छटुं तं चेव जाव जिणसई पगासेमाणे विहरइ, से कहमेयं भंते, एवं ?" तं इच्छामि णं भंते, गोसालस्स 20 मंखलिपुत्तस्स उट्ठाणपरियाणियं परिकहियं । 'गोयमा' इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-'जं गं गोयमा, से बहुजणे अन्नमनस्स एवमाइक्खइ ४--' एवं खलु गोताले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरइ ' तं णं मिच्छा। अहं पुण गोयमा, एवमाइक्खामि जाव परवमि-' एवं खलु एयस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स मंखलिनामं मंखे पिया होत्था। तस्स णं मंखलिस्स मंखस्स भद्दा नामं भारिया होत्था, सुकुमाल जाव पडिरूवा। तए

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