Book Title: Bhagwati Sutram
Author(s): N V Vaidya
Publisher: Godiji Jain Temple and Charities

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Page 25
________________ पन्नरसमं सयं " एयम परिकहेइ तावं च णं से गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारी कुंभकारावणाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता आजीवियसंघसंपरिवुढे महया अमरिसं वहमाणे सिग्धं तुरियं जाव सावत्थि नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ २त्ता जेणेव कोट्टए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, २ समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूर सामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासीसुट्टु णं आउसो कासवा, ममं एवं वयासी, साहु णं आउसो कासवा, ममं एवं वयासी, गोसाले मंखलिपुत्ते ममं धम्मंतेवासी २१ । जे णं से मंखलिपुत्ते तव धम्मंतेवासी से णं सुक्के सुक्काभिजाइए भवित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोपसु देवत्ताए उववन्ने; अहं णं उदाइनामं 10 कुंडियायणीए, अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि २ गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरंगं अणुष्पविसामि २ इमं सत्तमं पट्टपरिहारं परिहरामि । जे वि यावि आउसो कासवा, अम्हं समयंसि केइ सिज्झति वा सिज्झिस्संति वा सव्वे ते चउरासीं महाकप्पसयसहस्साई, सत्त दिव्वे, सत्त सन्निगभे, सत्त पउट्टपरिहार, 15 पंच कम्नाणि सयसहस्साइं सट्ठि च सहस्साइं छच्च सए तिन्नि य कम्मंसे अणुपुब्वेणं खवइत्ता तओ पच्छा सिज्झंति बुज्झंति मुच्चंति परिनिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा । से जहा वा गंगा महानदी जओ पवूढा, जहिं वा पज्जुवत्थिया, एस णं अद्धा पंचजोयणसयाइं आयामेणं, अद्धजोयणं विक्खंभेणं, पंच 20 धणुसयाई उच्हेणं, एएणं गंगापमाणेणं सत्त गंगाओ सा एगा महागंगा, सत्त महागंगाओ सा एगा सादीणगंगा, सत्त सादीणगंगाओ सा एगा मच्चुगंगा, सत्त मच्चुगंगाओ सा एगा लोहियगंगा, सत्त लोहियगंगाओ सा एगा आवतीगंगा, सत्त आवंतीगंगाओ सा एगा परमावती, एवामेव सपुव्वावरेणं एगं गंगासयसहस्सं सत्तर सहस्सा छच्च 25 < 19

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