Book Title: Bhagwati Sutram
Author(s): N V Vaidya
Publisher: Godiji Jain Temple and Charities
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पन्नरसमं सयं
कहिं गए, कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा, ममं अंतेवासी सुनक्सत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए । से णं तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेषणं परिताविए समाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, २ वंदइ नमंसइ, २ सयमेव पंच महत्वयाई आरुभेइ २ समणा य समणीओ य खामेइ, २ आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्डुं चंदिमसूरिय जाव आणयपाणयारणकप्पे वीईवइत्ता अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं बाबीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं सुनक्खत्तस्स वि देवरस बावीसं सागरोवमाईं, सेसं जहा सव्वाणुभूइस्स जाव अंतं काहिइ ॥ ( सू० ५५८ )
३९. एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम 10 मंखलिपुत्ते । से णं भंते, गोसाले मंखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिँ गए, कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा, ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते समणधायए जाव छउमत्थे चेव कालमा से कालं किच्चा उड्ड चंदिमसूरिय नाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । तत्थ 15 णं गोसालस्स वि देवरस बावीसं सागरोवमाई डिई पण्णत्ता ॥
४०. से णं भंते, गोसाले देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ३ जाव कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा, इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे नयरे संमुइस्स रन्नो भद्दा भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिइ । से णं तत्थ नवन्हं 20 मासाणं बहुपडि पुण्णाणं जाव वीइक्कंताणं जाव सुरूवे दारए पयाहिइ ॥
४१. जं रयणिं च णं से दारए जाइहिइ, तं रयणिं च णं सयदुवारे नयरे सब्भितरबाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिइ । तर णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइकंते जाव संपत्ते बारसाहदिवसे अयमेयारूवं 25

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