Book Title: Bhagwati Sutram
Author(s): N V Vaidya
Publisher: Godiji Jain Temple and Charities

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Page 50
________________ श्रीमद्भगवतीसूत्रम् वायाणं जाव सुद्धवायाणं, तसु अणेगसयसहस्स जाव किच्चा जाई इमाई तेउक्काइयविहाणाई भवंति, तं जहा- इंगालाणं जाव सूरकंतमणिनिस्सियाणं, तेसु अणेगयसहस्सं जाव किच्चा जाई इमाई आउक्काइयविहाणाई भवंति, तंजहा-उस्साणं जाव खातोदगाणं तेसुअणगसय जाव 5 पञ्चायाइस्सइ । उस्सन्नं च णं खारोदएसु, खातोदएसु; सव्वत्थ विणं सत्थवज्झे जाव किच्चा जाइं इमाई पुढविक्काइयविहाणाई भवंति, तं जहा- पुढवीणं सक्कराणं जाव सूरकंताणं, तेसु अणेगसय जाव पञ्चाया.हिइ। उस्सन्नं च णं खरबायरपुढविक्काइएतु, सम्वत्थ वि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा रायगिहे नयरे बाहिं खरियत्ताए उववज्जिहिइ । तत्थ 10 वि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा दोच्चं पि रायगिहे नयरे अंतो खरियत्ताए उववज्जिहिइ। तत्थ वि णं सत्थवज्झे जाव किच्चा इहेव जंबुद्दीधे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले बेभेले संनिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिइ । तए णं तं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबाल भावं जोव्वणगमणुप्पत्तं, पडिरूवएणं सुक्केणं, पडिरूवएणं विणएणं, 15 पडिरूवयस्स भत्तारस्स भारियत्ताए दलइस्संति। सा णं तस्स भारिया भविस्सइ इट्ठा कंता जाव अणुमया, भंडकरंडगसमाणा, तेल्लकेला इव सुसंगोविया, चेलपेडा इव सुसंपरिग्गहिया, रयणकरंडओ विव सुसारक्खिया, सुसंगोविया, मा णं सीयं, मा णं उण्हं जाव परिस्सहोवसग्गा फुसंतु। तए णं सा दारिया अन्नया कयाइ गुम्विणी 20 ससुरकुलाओ कुलघरं निज्जमाणी अंतरा दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु अग्गिकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहि ॥ ४९. से णं तओहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लाभहिइ, २ केवलं बोहिं बुज्झिहिइ, २ मुंडे भवित्ता अगाराओ 25 अणगारियं पच्वइहिइ । तत्थ वि य णं विराहियसामण्णे कालमासे

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