Book Title: Bhagwati Sutram
Author(s): N V Vaidya
Publisher: Godiji Jain Temple and Charities

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Page 39
________________ पन्नरसमं सयं 33 ३६. तेणं कालणं तेणं समएणं मेंढियगामे नामं नयरे होत्था, वण्णओ। तस्स णं मेंढियगामस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए एत्थ णं साण(ल)कोट्ठए नामं चेइए होत्था, वण्णओ, जाव पुढविसिलापट्टओ। तस्सणं साण(ल)कोट्टगत्स णं चेइयस्स अदूरसामंत एत्थ णं महेगे मालुयाकच्छए यावि होत्था, किण्हे किण्होभासे जाव 5 निकुरंबभूए, पत्तिए पुफिर फलिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए अईव २ उपसोभेमाणे चिट्ठइ। तत्थ णं मेंढियगामे नयरे रेवई नामं गाहावइणी परिवसइ अड्डा जाव अपरिभूया। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ पुन्वाणुपुट्विं चरमाणे जाव जेणेव मेंढियगामे नयरे जेणेव साण(ल)कोट्टए चेइए जाव परिसा पडिगया। तए णं समणस्स 10 भगवओ महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउब्भूए, उज्जले जाब दुरहियासे, पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्रतीए यावि विहरइ, अवियाई लोहियवच्चाई पि पकरेइ, चाउवण्णं वागरेइ- ‘एवं खलु समणे भगवं महावीरे गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अन्नाइटे समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिमयसरीरे दाहवक्कंतीए 15 छउमत्थे चेव कालं करिस्सइ ।। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्त अंतेवासी सीहे नामं अणमारे पगइभदए जाव विणीए मालुयाकच्छगस्त अदूरसामंते छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं २ तवोकम्मेणं उडुंबाहा जाव विहरइ। तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झागंतरियाए वट्टमाणस्त अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था-20 'एवं खलु ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेलगस्त समणस्स भगवओ महावीरस्त सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउन्भूए, उज्जले जाव छउमत्थे चेव कालं करिस्तह। वदिस्संति य णं अन्नतिथिया'छ उमत्थे चेव कालगर ।। इमेणं एयारूवेगं महया मगोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ, २ जेणेव 25

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