Book Title: Bhagwati Sutram
Author(s): N V Vaidya
Publisher: Godiji Jain Temple and Charities

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Page 31
________________ पन्नरसमं सयं 25 समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवकंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्ससि । तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मखलिपुत्तं एवं वयासी-'नो खलु अहं गोसाला, तव तवणं तेएणं अन्नाइटे समाणे अंतो छण्हं जाव कालं करेस्सामि; अहं णं अन्नाई सोलस वासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि। तुम णं गोसाला, 5 अप्पणा चेव सएणं तेएणं अन्नाइटे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सास'॥ २४. तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु बहुजणो अन्नमन्नस एवमाइक्खइ, जाव एवं परूवेइ-‘एवं खलु देवाणुप्पिया, सावत्थीए नयरीए बहिया कोट्टए चेइए दुवे जिणा संलवंति, एगे 10 वयंति- तुमं पुच्विं कालं करेस्ससि, एगे वदंति-तुमं पुट्विं कालं करेस्सास। तत्थ णं के पुण सम्मावाई के पुण मिच्छावाई ? तत्थ णं जे से अहप्पहाणे जणे से वयइ-‘समणे भगवं महावीरे सम्मावाई, गोसाले मंखलिपुत्ते मिच्छावाई'। 'अज्जो' इ समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी-अज्जो, से जहानामए तणरासी 15 इ वा कट्टरासी इ वा पत्तरासी इ वा तयारासी इ वा तुसरासी इ वा भुसरासी इ वा गोमयरासी इ वा अवकररासी इ वा अगणिझामिए अगणिझूसिए अगणिपरिणामिए हयतेए गयतेए न?तेए भट्टतेए लुत्ततेए विणट्टतेए जाव एवामेव गोसाले मंखलिपुत्ते मम वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरेत्ता हयतेए गयतेए जाव विणटुतेए जाए। तं 20 छंदेणं अज्जी, तुम्भे गोसालं मखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएह, २ धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेह, २ धम्मिएणं मडोयारेणं पडोयारेह, २ अष्टेहि य हेऊहि य पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निप्पट्टपसिणवागरणं करेह ॥ . .२५. तए णं ते समणा निग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं 25

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