Book Title: Bhagwati Sutram
Author(s): N V Vaidya
Publisher: Godiji Jain Temple and Charities
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श्रीमद्भगवतीसूत्रम् तए णं अहं गोयमा, गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं पणियभूमीए छन्वासाइं लाभं अलाभं सुखं दुक्खं सक्कारमसक्कारं पच्चणुभवमाणे अणिच्चजागरियं विहरित्था ॥ (सू० ५४१)
१०. तए णं अहं गोयमा, अन्नया कयाइ पढमसरयकालसमयांस 5 अप्पबुट्टिकायसि गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धिं सिद्धत्थगामाओ नयराओ कुम्मगामं नयरं संपट्टिए विहाराए । तस्स णं सिद्धत्थगामस्स नयरस्स कुम्मगामस्स नयरस्स य अंतरा एत्थ णं महं एगे तिलथंभए पत्तिए पुप्फिए हरियगरोरेज्जमाणे सिरीए अईवरउवसोभेमाणे २चिटइ।
तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तं तिलथंभगं पासइ, २ त्ता ममं वंदइ 10 नमसइ, २त्ता नमंसित्ता एवं वयासी-'एस णं भंते, तिलथंभए कि निप्फज्जिस्सइ नो निप्फज्जिस्सइ ? एए य सत्त तिलपुप्फजीवा उदाइत्ता २ कहिं गच्छिहिंति, कहिं उववाजिहिंति ?' तए णं अहं गोयमा, गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-'गोसाला, एस णं तिलथंभए निप्फन्जिस्सइ, नो न निप्फजिस्सइ, एए य सत्त तिलपुप्फजीवा 15 उदाइत्ता २ एयस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पञ्चायाइस्संति ।। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं आइक्खमाणस्स एयमढें नो सद्दहइ, नो पत्तियइ, नो रोएइ, एयमटुं असदहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे ममं पणिहाए 'अयं णं मिच्छावादी भवउ ' त्ति कट्ट ममं अंतियाओ सणियं २ पच्चोसक्का, 20२ त्ता जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छइ, २ तं तिलथंभगं
सलेट्ठयायं चेव उप्पाडेइ, २ त्ता एगंते एडेइ। तक्षणमेत्तं च णं गोयमा, दिव्वे अब्भवद्दलए पाउन्भूए । तए णं से दि वे अब्भवद्दलए खिप्पामेव पतणतणाएड्, खिप्पामेव पविज्जुयाइ, खिप्पामेव नच्चोदगं
नाइमट्टियं पविरलपफुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सलिलोदगं वासं 25 वासइ, जेणं से तिलथंभए आसत्थे पञ्चायाए, तत्थेव बद्धमूले, तत्थेव

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