Book Title: Bhagavana  Mahavira aur unka Tattvadarshan
Author(s): Deshbhushan Aacharya
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 11
________________ घास, नारायण का रनिवास- बलभद्र का वराग्य तथा च नरक का वर्णन मुनिराज का तप और सिंह को उपदेश-जंगल में सिंह हिरण को पकडते हुए मुनिराज का सिंह को उपदेश-समाधिमरण में सिंह- चारण द्विधारी मुनिराज के द्वारा सिंह के पूर्व भय का वर्णन सिंह का जीव सोधर्म स्वर्ग में उत्पन्न हुआ कनक राजा का विवाह कनकोव्वल का समाधिमरण- कनकोयल ने दीक्षा धारण की कनकोचल मुनिराज तपश्चरण में तीन- राजा कनकोज्वल रानी के साथ-रानी के साथ वंदना पर कनकोयल उपदेश सुनते हुए कनकोयल स्वयं में देव हुआ जिन माता का अभिषेक राजा कमकोज्वल हरिषेण राजा पूजा करते हुए - राजा वज्र सैन- राजा हरिषेण जिन मन्दिर में- हरिषेण का जीव महाशुक्र स्वर्ग में- राजा सुमित्र रानी सुव्रत के साथ प्रिय मित्रकुमार के चौदह रत्न-नन्द राजा ने दीक्षा धारण की— चक्रवर्ती की सेना का वर्णन प्रभु का समवशरण प्रियमित्रकुमार को नवविधि- प्रियमित्रकुमार का जन्म पति की नवनिधि त्रिपृष्ठ की सेना मनित्य भावना धारण भावना-संसार भावना - एव भावना अन्य स्व भावनामयुधि भावना मात्र भावना-संवर भावना - बोधिवतंत्र भावना-धर्म भावना निर्जरा भावना - लोक भावना - राजा नन्द के सुख का वर्णन - राजानंद की सेना का वर्णन - भगवान की सेवा करते हुए देव देवियां श्वर्ती का वैभव राजा नंद का वर्णन - राजा सिद्धार्थ का महल देवियों द्वारा जिन माता की सेवा - जिन माता के रूप का वर्णन कुबेर द्वारा कुंडलपुर की रचना सोलह स्वप्न जिन माता की सेवा करती हुई देवियां राजा के द्वारा देवों का स्वागत- कुंडलपुर में खुशियां मनाई जा रहीं हैं- इन्द्र श्री १००० को जाके लिए हाथी पर ले जाते हुए रानी सुता के स्वप्नों का फल - श्री भगवान महावीर स्वामी के जन्माभिषेक पर देवों का ग्रागमन - भगवान महावीर ने छह मास का तप धारण किया- इन्द्राणी भगवान महावीर को जन्माभिषेक के लिए ले जाती हुई पयोध्या के राजा वचसेन पाण्डक शिला पर इन्द्रों द्वारा भगवान महावीर का जन्माभिषेक भग वान महावीर स्वामी बाल क्रीड़ा करते हुए भगवान महावीर स्वामी दीक्षा हेतु देवों द्वारा ले जाये जा रहे हैं- भगवान महावीर ने बाल्यकाल में मदोन्मत्त हाथी को वश में किया-लोकान्तिक देवों द्वारा भगवान महावीर स्वामी की स्तुति नव ज्योतिर्लोक का वर्णन देवों द्वारा भगवान महावीर की स्तुति - श्री १००८ भगवान महावीर स्वामी का दीक्षा कल्याणक देवों द्वारा भगवान महावीर के वैराग्य की पुष्टिदेवी देवताओं द्वारा भगवान की स्तुति-दरपुर के राजा कूल के द्वारा स्तुति वीर प्रभु का प्रतापश्री भगवान महावीर का बाल्यकाल -- भगवान के समवशरण की ध्वजायें- जन्म के दश प्रतिशय - ज्ञान के आठ मंगल - भरत का समवशरण - समवशरण में इन्द्र इन्द्राणी द्वारा स्तुति, गौतम का मानं स्तंभ देखते ही मान गलित होना गौतम शिष्यों के साथ समवशरण की ओर जाते हुए सप्तभंगी वर्णन - जिन बालक का मेरु पर्वत पर अभिषेक - ज्योतिषियों की संख्या - श्री १००८ भगवान के चिन्ह-अंतरात्मा बहिरात्मा घातिया कर्मों का महावीर स्वामी द्वारा नाश-पदस्थ ध्यान का वर्णन-पदस्य ध्यान का निरूपण - पदस्थ ध्यान का निरूपण-प्रप्ट कर्म का वर्णन ज्ञानावरण --- दर्शनावरण- वेदनीय मोहनीय बायु -नामगोत्र - अन्तराय -- ऋद्धिधारी मुनि का प्रभाव - बुद्धि, केवल, श्रवधिधारी मुनि मुनि के दर्शन से कुष्ठ ठीक हो गया। सिद्ध भूमियों के चित्र । - -- - ― — २५ - - — -

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